आचरण सुधरता है कथा श्रवण से : सुरेन्द्र शर्मा बबली

FARIDABAD : आज से लगभग 4500 वर्ष पहले गीता का ज्ञान बोला गया था। गीता की गणना प्रस्थानत्रयी में की जाती है, जिसमें उपनिषद् और ब्रह्मसूत्र भी सम्मिलित हैं। अतएव भारतीय परम्परा के अनुसार गीता का स्थान वही है जो उपनिषद् और धर्मसूत्रों का है। उक्त वक्तव्य सैक्टर – 7 फरीदाबाद में भक्त मित्र मण्डल द्वारा आयोजित श्रीमद्भागवत कथा में बतौर मुख्य अतिथि पहुंचे पण्डित सुरेन्द्र शर्मा बबली राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिल भारतीय ब्राह्मण सभा ने व्यक्त किए। व्यास श्रद्धेय अनुज जी महाराज व भागवत पूजन कर आशीर्वाद प्राप्त करते हुए पण्डित सुरेन्द्र शर्मा बबली ने कहा कि कथा श्रवण अवश्य करनी चाहिए। इससे जीवन सुखमय होता व आचरण सुधरता है।

 

उपनिषदों की अनेक विद्याएँ गीता में हैं। जैसे, संसार के स्वरूप के संबंध में अश्वत्थ विद्या, अनादि अजन्मा ब्रह्म के विषय में अव्ययपुरुष विद्या, परा प्रकृति या जीव के विषय में अक्षरपुरुष विद्या और अपरा प्रकृति या भौतिक जगत के विषय में क्षरपुरुष विद्या। इस प्रकार वेदों के ब्रह्मवाद और उपनिषदों के अध्यात्म, इन दोनों की विशिष्ट सामग्री गीता में संनिविष्ट है। व्यास जी व आयोजन मण्डल ने पण्डित सुरेन्द्र बबली का मान सम्मान किया और पटका पहनाकर उनका स्वागत किया। इस अवसर पर सम्मानित महानुभाव भक्तजन उपस्थित रहे।

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