भारत का रुपया बन सकता है ग्लोबल करेंसी, इस दिग्गज इकोनॉमिस्ट ने कही ये बात

भारतीय अर्थव्यवस्था की रफ्तार तेजी से बढ़ रही है। इसी के साथ भारतीय रुपए की ताकत भी बढ़ रही है। इसका लोहा अब विदेशी अर्थशास्त्री भी मान रहे हैं। अब जाने-माने अर्थशास्त्री नूरील रूबिनी के मुताबिक, भारतीय रुपया आने वाले समय में नया डॉलर हो सकता है। भारतीय रुपया डॉलर की जगह लेने की ताकत रखता है। एक इंटरव्यू में नूरील रूबिनी ने यह बातें कही हैं। उन्होंने कहा कि भारतीय रुपया समय के साथ दुनिया में ग्लोबल रिजर्व करेंसीज में से एक बन सकता है। उनके मुताबिक यह देखा जा सकता है कि भारत दुनिया के बाकी हिस्सों के साथ जो व्यापार करता है, उसके लिए रुपया कैसे एक वाहन मुद्रा बन सकता है। यह भुगतान का विकल्प हो सकता है। यह स्टोर ऑफ वैल्यू भी बन सकता है। निश्चित रूप से, समय के साथ रुपया दुनिया में ग्लोबल रिजर्व करेंसी की डायवर्सिटी में से एक बन सकता है।

 

गिर रही है अमेरिका की ग्लोबल इकोनॉमी

अर्थशास्त्री नूरील रूबिनी के मुताबिक, आने वाले समय में जल्द ही डी-डॉलरीकरण यानी डॉलराइजेशन की प्रक्रिया होगी। उन्होंने आगे कहा कि अमेरिका की ग्लोबल इकोनॉमी का हिस्सा 40 से 20 फीसदी तक गिर रहा है। ऐसे में अमेरिकी डॉलर के लिए सभी अंतराष्ट्रीय वित्तीय और व्यापार लेनदेन के दो तिहाई होने का कोई मतलब नहीं है। इसका एक हिस्सा जियोपोलिटिक्स है। अर्थशास्त्री ने दावा किया कि अमेरिका राष्ट्रीय सुरक्षा और विदेश नीति के उद्देश्यों के लिए डॉलर को हथियार बना रहा है। इस महीने की शुरुआत में, एक इंटरव्यू में नूरील रूबिनी ने कहा कि अब दुनिया की मुख्य मुद्रा के रूप में अमेरिकी डॉलर की स्थिति खतरे में है।

भारत में दिखेगी विकास की रफ्तार

अब आने वाले समय में भारत में विकास की रफ्तार दिखेगी। नूरील रूबिनी के मुताबिक, भारत में 7% का इजाफा देखा जाएगा। उनके मुताबिक, भारत की प्रति व्यक्ति आय इतनी कम है कि वास्तव में सुधार के साथ, निश्चित रूप से सात प्रतिशत संभव है लेकिन आपको और भी कई ऐसे आर्थिक सुधार करने होंगे जो उस विकास दर को हासिल करने के लिए ढांचागत हों। वहीं अगर भारत इसे हासिल कर लेता है तो इसे कम से कम कुछ दशकों तक बनाए रख सकता है।

 

NEWS SOURCE : punjabkesari

Related Articles

Back to top button