कचरा प्रबंधन के लिए एनजीओ इको-सवेरा के साथ किया समझौता जे.सी. बोस विश्वविद्यालय ने
फरीदाबाद, 13 सितंबर : जे.सी. बोस विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, वाईएमसीए, फरीदाबाद ने कचरा प्रबंधन के सतत उपायों के दृष्टिगत फरीदाबाद के एनजीओ इको-सवेरा के साथ समझौता किया है।
समझौते पर विश्वविद्यालय की ओर से अनुसंधान एवं विकास प्रकोष्ठ की निदेशक प्रो. मनीषा गर्ग और इको-सवेरा एनजीओ की संस्थापक श्रीमती सुनीता पूजा बहल ने हस्ताक्षर किये। इस अवसर पर पर्यावरण विज्ञान विभाग की अध्यक्ष डॉ. रेणुका गुप्ता, सहयोग एवं उद्योग संपर्क प्रभारी डॉ. रश्मि पोपली, वसुंधरा इको-क्लब सदस्य डॉ. अनीता गिरधर, डॉ. सुषमा और डॉ. साक्षी और डॉ. प्रीति सेठी और इको-सवेरा की सह-संस्थापक एवं अध्यक्ष श्रीमती मृणालिनी गुप्ता, इको-सवेरा की संयुक्त सचिव हुस्नआरा अली सहित विश्वविद्यालय के अधिकारी मौजूद थे।
समझौता ज्ञापन पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कुलपति प्रो. सुशील कुमार तोमर ने पर्यावरण को संरक्षित करने में कचरा प्रबंधन के महत्व पर बल दिया और वसुंधरा इको-क्लब एवं पर्यावरण विज्ञान विभाग के प्रयासों की सराहना की तथा कहा कि यह पहल सतत एवं हरित भविष्य की दिशा में एक ठोस कदम है। इसके बाद, वसुंधरा इको क्लब और पर्यावरण विज्ञान विभाग द्वारा इको सवेरा एनजीओ के सहयोग से कचरा प्रबंधन अभियान का आयोजन किया गया, जिसका उद्देश्य परिसर में प्लास्टिक कचरे को कम करना था। इस पहल के हिस्से के रूप में, इको सवेरा ने विश्वविद्यालय परिसर में विशेष रूप से गैर जरूरी एवं सूखे प्लास्टिक कचरे के संग्रह के लिए दो डस्टबिन स्थापित किए। इन डिब्बों को प्लास्टिक को इकट्ठा करने के लिए डिजाइन किया गया है जिसे आसानी से रीसाइकिल नहीं किया जा सकता। इको सवेरा एनजीओ हर 15 दिन में कचरे के संग्रह की व्यवस्था करके इन डस्टबिन का नियमित रखरखाव सुनिश्चित करेगा। इस अभियान में छात्रों, शिक्षकों, कर्मचारियों, विश्वविद्यालय आरडब्ल्यूए और रखरखाव विभाग के प्रतिनिधियों ने भाग लिया।
कार्यक्रम के दौरान, इको-सवेरा की संस्थापक श्रीमती सुनीता बहल ने पर्यावरण परिवर्तन को आगे बढ़ाने में व्यक्तियों और समुदायों की भूमिका पर बल दिया तथा सभी को दैनिक जीवन में उपयोग होने वाली वस्तुओं में प्लास्टिक के उपयोग को कम करने के लिए प्रेरित किया। इसके बाद इको-सवेरा की सह-संस्थापक श्रीमती मृणालिनी गुप्ता ने फरीदाबाद जिले की कचरा प्रबंधन क्षमता से संबंधित चिंताजनक आंकड़े प्रस्तुत किए। उन्होंने बल दिया कि उत्पादन के स्रोत पर पृथक्करण पर्यावरण में कचरे की डंपिंग को रोकेगा। साथ ही, उन्होंने तीन अलग-अलग डस्टबिन के माध्यम से कचरे के पृथक्करण का मूल मंत्र साझा किया। पर्यावरण विज्ञान विभाग की अध्यक्ष डॉ. रेणुका गुप्ता ने इस पहल को आगे बढ़ाने के लिए सभी को धन्यवाद दिया। उन्होंने कहा कि कचरा प्रबंधन अभियान के माध्यम से इको सेवेरा द्वारा नियमित कचरा संग्रह के साथ, परिसर गैर-मूल्यवान सूखे प्लास्टिक कचरे को कम करने की दिशा में ठोस कदम उठाया जा रहा है, जो विश्वविद्यालय में जिम्मेदारी की भावना को बढ़ावा देने के एक मॉडल के रूप में काम करेगी।